तलाक कोई खेल नहीं…

तलाक कोई खेल नहीं…

 

सत्यघटना पर आधारित

तकरीबन पांच साल पुरानी बात होगी। मैं अपनी एक दोस्त बरखा की बहन की शादी में गई थी। शादी बहोत ही धूमधाम से हुई थी। दूल्हा और दुल्हन भी बहोत ज्यादा खुश दिखाई दे रहे थे। फ़िर एक साल बाद उसी दोस्त के घर जाना हुआ। तब देखा तो उसकी बहन मायके आई हुई थी। मैंने उन्हें नमस्ते किया और थोड़ी देर उनसे ऐसे ही इधर उधर की बाते की। पर उनकी बातो में न जाने क्यों उदासी छलक रही थी।

इसीलिए मैंने बातो ही बातो के अपनी दोस्त से पूछा, ” कुछ हुआ है क्या बरखा ? निशा दीदी कुछ उदास लग रही है।”

” हां यार…दीदी के घर में कुछ परेशानी चल रही है। इसीलिए पिछले दो महीने से निशा दीदी मायके में ही रह रही है।” बरखा ने बताया।

” पर आखिर हुआ क्या है ?” मैंने पूछा।

” जब दीदी की शादी हुई थी तब वह बी एड की आखिरी सेमेस्टर में थी। शादी के बाद दीदी कॉलेज तो नही जा पाई पर एग्जाम देना चाहती थी। जीजू की भी यही इच्छा थी। इसीलिए दीदी एग्जाम के वक्त मायके आ गई। और तकरीबन एक महीना मायके में ही थी। एग्जाम के बाद जब दीदी ने ससुराल जाने की तैयारियां की तो दीदी की सास का फोन आ गया की उसे अब ससुराल वापिस आने की कोई जरूरत नही है। उसे कहो के अब हमेशा के लिए मायके बैठी रहे और परीक्षाएं देती रहे।” बरखा ने बताया।

” लेकिन दीदी तो सिर्फ परीक्षा के लिए आई थी ना। तो उनकी सासू मां ने ऐसा क्यों कहा ? और जीजू ने कुछ क्यों नहीं कहा।” मैने पूछा।

” क्योंकि दीदी के एग्जाम देने की बात दीदी और जीजू ने पहले तय कर दी थी और फिर उनकी सासू मां को बताया था। उनकी मर्जी पूछे बिना इन दोनो का आपस में सलाह मशवरा करके कोई निर्णय लेना उनको बिलकुल भी अच्छा नही लगा। दीदी तो पहले ही उनको खास पसंद नही थी। वो तो जीजू और उनके पिताजी ने दीदी को पसंद किया था। उस बात का गुस्सा भी था। इसीलिए दीदी की सासू मां और ननद ने धीरे धीरे जीजू के मन में दीदी के लिए जहर घोलना शुरू कर दिया। शुरू में तो जीजू ने उनकी बातो को नजरअंदाज कर देते। पर फिर धीरे धीरे जीजू भी उनकी बातो में आने लगे। और अब तो नौबत यह तक आ गई है के जीजू दीदी का फोन तक नही उठाते।” बरखा ने कहा।

” फिर अब आगे क्या ?” मैंने पूछा।

” मम्मी पापा उन्हें समझाने के लिए गए थे। पर दीदी के ससुराल में उनका अपमान किया गया। वो लोग कुछ भी सुनने या समझने को तैयार ही नहीं है। दीदी को वापस ले जाने की बात तो दूर ही रही।” बरखा ने कहा।

” तुम फिक्र मत करो। धीरे धीरे सब ठीक हो जायेगा।” उसको ढाढस बंधाते हुए मैं वहा से निकल आई। पर मन ही मन यही सोच रही थी के कुछ महीनों पहले ही इतनी धूमधाम से हुई शादी का हश्र ये होगा ये किसी ने भी नही सोचा था। शादी में दूल्हा दुल्हन के चेहरे की खुशी को देखकर कोई भी उनके वर्तमान स्थिति कल्पना नहीं कर सकता था। कभी कभी घर के बड़ो का अहम एक बसी बसाई गृहस्थी को उजाड़ देता है। छोटी छोटी बातो पर बरसो का प्यार भुला दिया जाता है। निशा दीदी के साथ भी यही हो रहा था।

बरखा के घरवालों ने अपनी तरफ से हर मुमकिन कोशिश की निशा दीदी की गृहस्थी बचाने की। उनके सामने हाथ तक जोड़े। पर कोई फायदा न हुआ। आखिर दोनो का तलाक हो गया। उसके बाद सुनने में आया की निशा दीदी के पति ने तलाक के दो महीने बाद ही दुसरी शादी भी कर ली। पर निशा दीदी को संभलने में काफी वक्त लग गया। लेकिन जैसे ही निशा दीदी संभली उसने अपनी जिंदगी को एक और मौका दिया। निशा दीदी ने अपनी आगे की पढ़ाई पर अपना लक्ष केंद्रित किया। और धीरे धीरे सबकुछ भुलाकर अपनी जिंदगी के आगे बढ़ने की कोशिश करने लगी।

और देखते ही देखते चार साल गुजर गए। निशा दीदी अब एक अच्छी कोचिंग इंस्टीट्यूट में सम्मानजनक नौकरी कर रही थी। बरखा की शादी भी इसी साल हो गई थी। कर निशा दीदी ने अभी दूसरी शादी के बारे में कुछ सोचा नहीं था। अभी उसका सारा ध्यान अपने करियर पे था।

ऐसे ही एक दिन जब सारा परिवार घर पर था तब अचानक से निशा दीदी की सासू मां, ससुर जी, और पति उनके घर आए। उनको देखकर निशा दीदी के साथ उनके घरवाले भी चौंक गए। इतने सालो बाद उन लोगो को देखकर सभी हैरान थे। निशा दीदी के पापा ने उनको अंदर बिठाया। उन्हें जलपान कराया और बड़ी नम्रता से उनके यहां आने के कारण को पूछा। तो उन्हें पता चला की निशा दीदी के पति की दूसरी शादी भी टूट चुकी है। और पिछले एक साल से वो लोग उनके लिए रिश्ता ढूंढ रहे है। पर अबतक कोई रिश्ता नहीं हो पाया था।

फिर अचानक से निशा दीदी के पूर्व पति ने निशा दीदी को कही बाहर देखा। उस वक्त उसे वो पहले से ज्यादा सुंदर और आत्मविश्वास से भरी लगी। उसने कही से सुना था की निशा दीदी ने अभितक शादी नही की है। फिर अचानक से उसे लगा की उसके लिए निशा ही सुयोग्य है। उसने यही बात अपने घरवालों को बताई और घरवाले भी निशा दीदी पर बहुत बड़ा अहसान दिखाने चले आए। उन्होंने प्रस्ताव दिया की निशा दीदी और उनके पति की एक बार फिर से शादी करानी चाहिए।

उन्हें लगा की उनके इस प्रस्ताव से निशा दीदी के घरवाले खुशी से नाचने लगेंगे। और खुशी खुशी अपनी बेटी का हाथ एक बार फिर से उनके बेटे के हाथ में दे देंगे। और हमेशा उनके अहसान के बोझ तले दबे भी रहेंगे।

निशा दीदी के घरवाले कुछ बोल नहीं रहे है यह देखकर उनकी सासू मां ने कहा।

” तो फिर कोई शुभमुहूर्त देखकर दोनो की शादी करा देते है। चूंकि दोनो की दूसरी शादी है तो शादी अगर सादगी से भी ही तो हमे कोई आपत्ति नही। और ना ही हमारी कोई ज्यादा अपेक्षाएं है। बस अब और वक्त जाया करना सही नहीं।”

” लेकिन हमने अभी शादी के लिए हां नही की है।” निशा के पापा ने कहा।

” हां नही की है तो अब कर दीजिए। वैसे भी आपकी बेटी अभी घर पर ही तो बैठी है। इसकी भी कहा शादी हो पाई इतने सालो में। फिर हम लोग अगर पिछली बाते भुलाकर आपकी बेटी को अपनाने को तैयार है तो आपको क्या दिक्कत है।” निशा दीदी की सासू मां ने हाथ नचाते हुए कहा।

” दिक्कत है। आप शायद तलाक को मजाक समझ रहे है। और एक बार आपसे ठोकर खाने के बाद दूसरी बार अपनी बेटी को आपके घर ब्याहना मूर्खता से कम तो न होगी। आपने एक छोटीसी बात पर हमारी बेटी से रिश्ता तोड़ लिया था। कोई बड़ी बात होती तो और बात थी। और घर के बड़े बूढ़ो का फर्ज है के अगर छोटे गलती करना चाहे भी तो उन्हें समझाए। पर आपने तो खुद ही उन्हें गलतियां करने के लिए उकसाया है। और मेरी निशा की शादी अबतक हुई नही है इसका कारण यह नही के उसके लिए रिश्ते नही आ रहे थे। पर इस बार हम कोई भी जल्दबाजी नहीं करना चाहते। क्योंकि उसकी पहली शादी में लड़के को परखने में हमसे जो भूल हुई इस भूल को इस बार मैं दोहराना नही चाहता। इस बार मैं उसके लिए ऐसा पति ढूंढना चाहता हु जो उसे समझे, उसपर विश्वास करे, उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करे, और उससे बिना शर्त के प्यार करे। फिर वो पैसों से अमीर नही भी हुआ तो चलेगा। बस दिल का अमीर होना चाहिए। और ऐसे लड़के को ढूंढने में वक्त तो लगता है ना बहनजी।” निशा के पापा ने कहा।

” अच्छा। अभी बड़े पर निकल आए है आप लोगो के। शायद आप भूल रहे है की इन दोनो के तलाक के पहले आप हमारे सामने हाथ जोड़कर रिश्ते को बचाने की भीख मांग रहे थे। और अब आपको यही रिश्ता नामंजूर है ?” निशा के सासू मां ने गुस्से से कहा।

” तब मैं एक मजबूर और लाचार बाप था। को आपको बेटी की गृहस्थी को टूटते हुए नही देख सकता था। उसको उसको खुशियां मिले इसलिए मैं कुछ भी करने को तैयार था। पर अब मुझे लगता है कि जो हुआ वो शायद उसके भले के लिए ही हुआ होगा। काम से कम आज मेरी बेटी अपने पैरो कर खड़ी है। स्वाभिमान से जी रही है।” निशा के पापा ने कहा।

” आप एक बार फिर सोच लीजिए।” निशा के ससुर ने कहा।

” मैने सोच कर जी यह निर्णय लिया है। अब आप जा सकते है।” निशा के पापा ने कहा।

निशा दीदी के घरवाले ऐसा कुछ कहेंगे इस बार का उसके ससुराल वालों को बिलकुल भी अंदाजा नहीं था। उन्हें लगा था की उनका प्रस्ताव निशा के घरवाले खुशी खुशी मान लेंगे। लेकिन उनकी बाते सुनकर वे लोग चुपचाप वहा से निकल गए। पर निशा दीदी को आज अपने पापा के फैसले पर गर्व हो रहा था।

कुछ दिनों बाद निशा दीदी का रिश्ता भी एक अच्छे घर में हो गया। जहा उनको प्यार के साथ सम्मान भी मिला। और आज वो हसी खुशी अपनी गृहस्थी को संभालकर नौकरी भी कर रही है। जहा इसे अपने ससुराल वालो का भी खूब सहयोग मिलता है।

समाप्त।

 

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