तलाक – एक सही निर्णय

” आपकी बेटी को ना ही बात करने की कोई तमीज है…और ना ही रहन सहन का कोई तरीका… मुझे सबके सामने इसे अपने साथ कही ले जाने में शर्म आती है…मैं अब इसके साथ नही रहना चाहता…मुझे इससे तलाक चाहिए…” राघव गुस्से में बोले जा रहा था।

उसकी बातों को सुनती हुई डर से कांपती अंजली एक कोने में खड़ी थी। अंजली की मां ने उसे सहारा देते हुए थामे रखा था। लेकिन सच कहे तो अंजली की मां भी अंजली की हालत देखकर हिम्मत हार चुकी थी। पर अपनी बेटी के लिए जैसे तैसे हिम्मत जुटा कर उसके साथ खड़ी थी।

आज राघव और अंजलि दोनो के परिवार इन दोनो की शादीशुदा जिंदगी में आई मुश्किलों पर हल निकालने के लिए एक साथ जुटे थे। राघव का परिवार भी यही चाहता था की राघव सब कुछ भूलकर अंजलि को वापिस अपने साथ ले जाए। पर राघव अपने तलाक के फैसले पर अड़ा रहा। चर्चा का कोई हल निकल नही रहा था। आखिर अंजलि के पिता उठ खड़े हुए और राघव की ओर देख कर बड़ी गंभीरता से बोले।

” ठीक है…अगर आप अंजलि को अपने साथ नही रखना चाहते हैं, तो मैं आपको उसे हमेशा की तरह ले जाने के लिये मजबूर नहीं करूंगा…अगर आप तलाक चाहते हैं, तो हम तलाक देने के लिए तैयार हैं…”

यह सुनते ही चारो ओर सन्नाटा छा गया। सभी अंजली के पिता को आश्चर्य से देख रहे थे। अभी तक सबसे तैश में बात कर रहा राघव भी उनकी बात सुनकर हक्का बक्का रह गया। क्योंकि यही ससुरजी हर बार उसके सामने गिड़गिड़ाकर अंजलि को अपने साथ ले जाने के लिए विनती करते। आज अचानक से तलाक के लिए राजी कैसे हो गए।

राघव ने ये तो कभी नही सोचा था के अंजलि के घरवाले इतनी जल्दी तलाक के लिए राजी होंगे। उसे लगा था अंजलि के घरवाले उससे तलाक ना लेने के लिए मिन्नते करेंगे। उसके पैरो में गिरकर गिड़गिड़ाएंगे। और वह उनको अपमानित करके फिर अंजलि को तलाक देगा।

लेकीन अंजली के पापा इतनी जल्दी मान गए की राघव को उन्हें अपने पैरो मे गिड़गिड़ाता देखने का अवसर ही नही मिला। आखिर अंजलि का सारा दहेज वापिस देकर तलाक लेने पर सब राजी हो गए। राघव के घरवाले इस तलाक से खुश नहीं थे। पर अब राघव किसी की भी सुनने के लिए तैयार ही नहीं था।



इधर अंजलि को इन सब बातो पर विश्वास ही नहीं ही रहा था। काफी देर तक वो किसी से भी बात किए बिना जड़वत बैठी रही। घर में भी कोई आपस में ज्यादा बात नहीं कर रहा था। अंजलि के पिता को अब पुराने दिन याद आने लगे थे।

अंजली ने अभी स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी। अंजली बचपन से ही पढ़ाई में काफी होशियार थी। ओर दिखने मे भी अच्छी थी , केवल रंग में थोड़ी सावली थीं। उसका बचपन से एक सपना था। अफसर बनने का । प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए 12वीं में अच्छे अंक प्राप्त करने के बावजूद उसने कला विभाग में प्रवेश ले लिया। अंजलि के पापा को अपनी बेटी पर काफी गर्व था।

लेकिन एक दिन अचानक राघव के पिता अंजली के घर आए और राघव के लिए अंजली का हाथ मांगा। पहले तो अंजली के पिता ने मना कर दिया। लेकिन जब राघव के पिता ने उससे वादा किया कि हम अंजली को आगे की पढ़ाई में पूरा सहयोग करेंगे, और एक बेटी की तरह उसकी देखभाल करेंगे, तो अंजली के पिता इस शादी के लिए राजी हो गए।

उन्हें लगा कि राघव इतना अच्छा लड़का है। वह पहले गांव में भी पढ़ाई करता था लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए वे पुणे चला गया और वहां पढ़ाई करने के बाद उन्हें अच्छी नौकरी मिल गई। इसलिए अंजलि के पिता को लगा कि वह अंजली की पढ़ाई को जरूर महत्व और सहयोग देंगे।



अंजली के पिता अंजली से राघव के बारे में बात करते है। उन्हें राघव का रिश्ता अंजलि के लिए एकदम सही लग रहा था। पर अंजली तो इस समय शादी के बारे में सोचना भी नहीं चाहती थी लेकिन उसके पिता चाहते थे की ये रिश्ता हाथ से निकल न जाए। अपने पिता के निर्णय का मान रखते हुए अंजलि ने शादी के लिए आखिर हां कर दी। वैसे अंजलि भी अब थोड़ी बहुत आश्वस्त हो गई थी क्योंकि राघव के परिवार ने उसे पढ़ने की इजाजत पहले ही दे दी थी।



अंजलि के शादी के लिए हा करते ही महज पंद्रह दिन में उसकी राघव के साथ सगाई और अगले दो महीने में शादी हो गई। अंजली अपने पिता की इकलौती बेटी थी, इसलिए उन्होंने शादी को बड़े ही धूमधाम से किया। शादी के बाद दोनों कुछ दिन गांव में रहे और फिर राघव की नौकरी के चलते शहर आ गए और वहीं अपनी नई जिंदगी की शुरुआत की।

अपनी शादीशुदा जिंदगी को लेकर अंजलि ने मन ही मन काफी सपने संजोए थे। लेकिन असल में उसकी किस्मत में कुछ और ही लिखा था। राघव को अंजलि पसंद नहीं थी। दरअसल उसके माता पिता ने अंजलि के इकलौती संतान होने के कारण उसे राघव के लिए पसंद किया था। क्योंकि उसके पितांकी सारी संपत्ति बाद में अंजलि को यानी एक तरह से राघव को ही मिलती।

उन्होंने राघव को भी यही समझाकर शादी के लिए राजी किया था। पर राघव का मन अभी तक अंजलि को दिल से स्वीकार नहीं कर पा रहा था। राघव अंजलि से कम ही बात करता था। ना ही उसके लिये कभी बाहर से कुछ लेकर आता, ना ही कभी बाहर बाहर घुमाने ले जाता। खाली वक्त में अंजलि पढ़ाई में मन लगाने की कोशिश करती। पर राघव का उसके प्रति रूखा व्यवहार उसे अंदर तक परेशान करता रहता। और वो चाहते हुए भी पढ़ाई में अपना मन नही लगा सकती।

अंजली ने उससे बात करने की कोशिश की लेकिन वह उल्टा उस पर गुस्सा हो गया। उसने कहा की मुझे ज्यादा बात करना पसंद नहीं और बेहतर यही होगा कि तुम अपने काम से काम ही रखा करो। राघव का यह रूप अंजली के लिए बिल्कुल नया था। क्योंकि शादी के पहले जितनी भी बार वो राघव से मिली तब राघव ने उससे अच्छे से बात की थी। उसने सोचा कि राघव को शायद कुछ और समय चाहिए इसलिए वह चुप रही। पर जैसे-जैसे समय बीतता गया राघव उससे और भी उखड़ा उखड़ा रहने लगा। पर आज नही तो कल राघव का व्यवहार बदलेगा इसी आशा के साथ अंजलि सब कुछ सहे जा रही थी।

लेकिन स्थिति सुधरने के बजाय और ज्यादा बिगड़ती जा रही थी।राघव अब हर छोटी बात पर उससे नाराज हो जाता। अब तो वो छोटी मोटी गलती के लिए अंजलि पर हाथ भी उठने लगा था। हमेशा मुस्कुराती और चहकती अंजली अब लगातार डरी सहमी लगने लगी थी। ऐसे में वह पढ़ाई भी नहीं कर पा रही थी। शादी के चार महीने बाद जब अंजली घर आई तो वो बहुत ही बदली बदली सी, उदास सी लग रही थी।

अंजलि की मां और पिताजी ने भी उससे पूछा कि उसे कही कोई परेशानी तो नहीं है। लेकिन अंजलि ने एक नकली मुस्कान के साथ बात को टाल दिया। अंजली ने उन्हें कुछ नहीं बताया। वो नही चाहती थी की उसके मां और पिता परेशान हो। उसने बस कहा की अभी शहर की आबोहवा में वो एडजस्ट नही कर पाई है। दो-चार दिन घर पर रहने के बाद राघव फिर अंजली को साथ लेकर शहर गया, लेकिन अब की बार भी राघव का व्यवहार बिलकुल नहीं बदला था। उल्टे अब वो और भी चिड़चिड़ा होता जा रहा था। वह अंजली की हर छोटी बात पर नाराज हो जाता था। लेकिन फिर भी अंजली सब कुछ सहती रही।

एक दिन राघव देर रात नशे में धुत होकर घर आया और आते ही अंजली से बहस करने लगा। राघव का ये रूप देखकर अंजली बहुत डर गई थी। लेकिन जब राघव उसके सामने बकवास किए जा रहा था तब अंजली को उसकी बातों से उसके अपने प्रति किए गए बेरूखे व्यवहार के पीछे की असली वजह पता चली।

राघव अपनी ही धुन में बडबडा रहा था। राघव ने कहा के उसे अंजली बिल्कुल पसंद नहीं थी। अंजली का रंग सांवला था और वह एक गोरी, सुंदर लड़की से शादी करना चाहता था। वह जीसको बड़े गर्व से अपने साथ ले जा सकता है, बड़ी पार्टियों में अपने साथ घुमा सकता है। लेकिन उसके पिता ने किसी तरह उसे अंजली के साथ शादी करने के लिए मजबूर किया। कारण यह था कि अंजली अपने माता-पिता की इकलौती बेटी थी और शादी के बाद उसके पिता की सारी संपत्ति उसके नाम होने वाली थी। इसलिए उन्होंने अंजली और राघव की शादी करवा दी।

राघव ने अंजली से शादी की लेकिन दूसरों की खूबसूरत पत्नियों को देखकर उसे बहुत दुख होता था। और फिर अपना सारा गुस्सा वो अंजली पर निकालता था। राघव के मुंह से यह सब सुनकर अंजली के पैरो से मानो जमीन खिसक गई थी। वो सारी रात बिना रुके बस रोये ही जा रही थी। और उसे अब राघव पर गुस्सा भी आने लगा था। अगर वो उसे पसंद हि नही करता था तो उसे शादी के लिए मना करना चाहिए था।

उसने लालच मे आकर शादी की और अपने साथ साथ अंजलि की जिंदगी की जिंदगी भी बरबाद कर दी। अगली सुबह जब अंजली ने गुस्से में राघव से इस बारे में पूछा तो वह अपनी गलती ना मानते हुए उसे तुरंत उसके मायके ले गया और उल्टा उसके पिता से कहा कि आपकी बेटी बहुत बदतमीज है। वह अपने पति से उलटे सवाल पूछती है। उसे समझाइए। अगर अंजलि अपने व्यवहार के लिए उससे माफी मांगेगी तभी वो उसको दोबारा साथ लेकर जायेगा। वरना जिंदगी भर के लिए यही मायके में ही छोड़ देगा।

अब अंजली के पिता को उसके चेहरे की उदासी के पिछे की असली वजह का पता चल गया था। राघव अंजली को मायके छोड़कर अकेला शहर चला गया। दो-चार दिनों तक अंजली बहुत हो ज्यादा गुस्से में थी।राघव ने उसकी जिंदगी बर्बाद कर दी थी। अंजली और उसके माता-पिता दोनों को लगा कि अगर वह उसे पसंद नहीं करता, तो उसे उन्हें पहले बता देना चाहिए था।

लेकिन धीरे-धीरे राघव का गुस्सा थोड़ा शांत हुआ। अंजली के मायके रहने को लेकर आजकल पड़ोसियों में कानाफूसी होने लगी थी। अंजलि के पिता ने समाज के डर से अंजलि और राघव के रिश्ते को एक और मौका देने का सोचा। उन्होंने अंजलि से इस बारे में बात की। पहले तो अंजलि जाने को तैयार ही नहीं हुई। पर जब उसे इस बात का अहसास होने लगा की उसके मायके में रहने को लेकर गांव में अजीब अजीब बाते होने लगी है तो अपने पिता के सम्मान के चलते अंजली वापस राघव के पास चली जाती है

अंजली के पिता उसे पहुचाने जाते हैं और राघव से अंजली के साथ अच्छा व्यवहार करने की विनती करते हैं। राघव उनके सामने तो मान गया पर अंजलि के पिता के कोई ठोस कदम न उठाए पर अब उसकी हिम्मत कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी। वह हर छोटी-छोटी बात पर झगड़ा करता था और अंजली को मायके भेज देता। और हर बार अंजलि के पिता दामाद के सामने झुक जाते और दामाद से माफी मांगते हुए अंजलि को वापिस उसके घर छोड़ आते।लेकिन इस बार राघव किसी की भी सुनने को तैयार नही था। वह किसी भी हालत में अंजली से तलाक चाहता था। पहले तो सभी ने राघव को समझाने की काफी कोशिश की लेकिन उसने किसी की नहीं सुनी। आखिर अंजली के पिता को भी एहसास हुआ कि राघव सुधरने वाला नहीं है। उसने हमारी मजबूरी का फायदा उठाया क्योंकि हम उसके अहंकार को बहुत दिनों से दुलार रहे थे। इसलिए उन्होंने अंजली को इस जबरदस्ती के बंधन से मुक्ति दिलाने का फैसला किया।



कोर्ट ने तलाक का केस चल रहा था। किसी कारणवश दोनो के तलाक के लिए छह महीने बाद की तारीख मिली थी। अंजली तो मानो इस दुख से उबर ही नही पा रही थी। उसे न खाने की सुध थी ना पीने की। दिनभर किसी से बात किए बिना अपनी रूम में बैठी रहती। अंजलि के माता पिता उसकी इस हालत को देख नही पा रहे थे। आखिर में अंजली के पिता ने अंजली को कुछ दिनों के लिए उसकी बुवा के पास भेज दिया। माहौल में बदलाव के साथ अंजली मे अब एक सकारात्मक बदलाव नजर आ रहा था। बुवा की बेटियां लगभग अंजलि की उम्र की ही थी और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी कर रही थी इसलिए उन्हें देखकर अंजली भी एक बार फिर से पढ़ने लगी।

अंजली ने खुद को पूरी तरह से अपनी पढ़ाई में लगा लिया। धीरे-धीरे अंजली का आत्मविश्वास बढ़ता गया। उसने अपनी बुवा की छोटी बेटी के साथ परीक्षा फॉर्म भरा और कुछ ही दिनो में परीक्षा भी दी। संयोगवश परीक्षा का परिणाम भी जल्दी हिबा गया। उसकी तलाक के पेशी के चंद दिन पहले उसका नियुक्ती पत्र उसके हाथ में आ गया। और देखते ही देखते यह बात हर जगह फैल गई।

उसके माता-पिता बहुत खुश थे। अंजली अब अपने अतीत से पूरी तरह उबर चुकी थी। उसके चेहरे पर आत्मविश्वास उसकी सुंदरता को और भी निखार रहा था। कोर्ट की पेशी वाले दिन जब अंजली तलाक के कागजात पर साइन करने कोर्ट गई तो राघव उसे देखता ही रह गया। अंजली का रहन-सहन अब पूरी तरह से बदल चुका था।

अंजलि को नौकरी लगने की खबर उसे भी मिल चुकी थी।और इतने लंबे समय तक अकेले रहने के बाद उसे अपने जीवन में अंजली की कमी का एहसास हो रहा था। अब वह अंजली को अपने जीवन में वापिस पाना चाहता था। राघव के घरवालों के अपनी मंशा अंजलि के पिता के सामने प्रकट भी की थी पर अब अंजलि के पिता के उनकी विनती के नम्रतापूर्वक नकार दिया था। पर राघव इस बात को अभी स्वीकार कर हि नही पा रहा था। उसे लग रहा था की अंजलि आज भी उसकी याद में रोती होंगी और अगर वो एक इशारा कर दे तो वो उसके पास दौड़ी चली आएगी। इसीलिए आज राघव अंजली से बात करने की मंशा लिए समय से पहले ही कोर्ट आया था।

अंजलि भी आज थोड़ी देर पहले ही कोर्ट के पहुंची थी। उसके पिता भी उसके साथ आए थे। और वो वकील साहब से केस के बारे में कुछ बात कर रहे थे। अंजलि अकेली ही एक बेंच पर बैठी कोर्ट की गतिविधियों को निहार रही थी। तभी राघव अंजलि के पास गया। और उसने अंजलि से कहा।

” मैने सुना तुम्हारी सरकारी नौकरी लगी है… बधाई हो…”

“धन्यवाद …” अंजली ने बड़ी ही बेपरवाही से जवाब दिया।

” अगर तुम चाहो तो हम अपने रिश्ते के बारे में एक बार फिर से सोच सकते है…क्योंकि आज तुम्हारे पास एक अच्छी नौकरी भी है…दिख भी अच्छी रही हो…लगता है नौकरी करने से तुम में आत्मविश्वास आने लगा है…आज तुम सही मायने में मेरे लायक हो गई हो…अगर तुम भी हमारी शादी को एक मौका देना चाहो तो मैं ये तलाक रद्द करवा सकता हूं…”राघव ने अंजली से बड़े ही घमंड में कहा।

“माफ करना…पर मुझे अब आपने कोई भी दिलचस्पी नहीं रही…आप मुझे अपने जिंदगी में सिर्फ और सिर्फ इसीलिए वापस चाहते है क्योंकि आज मेरे पास एक अच्छी नौकरी है और अब आपको मुझे अपने साथ बाहर ले जाने में शर्म नही महसूस होगी…पर शायद आपको आज भी ये अहसास नही है के रिश्ते प्यार से बनते हैं, योग्यता से नहीं… मैंने आपको आपकी सारी कमियों के साथ स्वीकार किया था तो मुझे आपसे भी यही उम्मीद थी…लेकिन तब आपने मुझे अपमानित किया…मेरे पिता को लाचार समझ उनका बार बार अपमान किया… जब मेरे पिता आपके आगे हाथ फैलाकर अपने बेटी की गृहस्थी ना उजाड़ने की विनती कर गिड़गिड़ा रहे थे तब आपको एक बार भी उनका खयाल नहीं आया…पर अब मैंने हमेशा के लिए आपको अपने मन और जीवन से निकाल दिया है…अब केवल कागज़ के टुकडो पर साईन करना बचा है…अब आपसे केवल एक ही विनती है की अब जब आप दूसरी किसी भी लडकी से शादी करो तो अपनी सारी उम्मीदें लड़की को पहले ही बता दो ताकि कम से कम उसकी जिंदगी तो खराब न हो..’ अंजली ने कहा।



जैसे ही राघव ने यह सुना, वह गुस्से में पैर पटकते हुए वहां से चला गया। जल्द ही उनके नाम का अदालत में बुलावा आया और दोनों ने तलाक के कागजात पर हस्ताक्षर किए और अपना नया जीवन शुरू किया।



अंजली के पिता को जैसे ही अहसास हुआ कि अंजली और राघव के रिश्ते का भविष्य अंधकारमय है वैसे ही उन्होंने तलाक लेने का फैसला कर दिया। देर से ही सही पर उन्होंने अंजलि के स्वाभिमान को बचा ही लिया। कभी-कभी हमें भविष्य के बारे में सोचते हुए वर्तमान में कुछ कठिन निर्णय लेने ही पड़ते हैं। जब जीवन में आए कटु अनुभवो से कुछ सीख लेंगे तभी एक नई शुरुवात की उम्मीद पनपेगी।

समाप्त

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